पुस्तक का परिचय
नाट्यकृति-'नरेन्द्र से विवेकानन्द'
लेखक-उमेश कुमार चौरसिया 9829482601
- स्वामी विवेकानन्द के जीवन प्रसंगों पर आधारित द्विअंकी पूर्णकालिक प्रेरक नाटक। नास्तिकता की कगार तक जिज्ञासु क्रांतिधर्मा युवक नरेन्द्र का एक पूर्ण श्रद्धालु योद्धा सन्यासी स्वामी विवेकानन्द के रूप में रूपान्तरण एक अद्भुत ऐतिहासिक घटना है, स्वामीजी के जीवन का यह सबसे महत्वपूर्ण भाग ही इस नाटक की कथावस्तु है। ठाकुर रामकृष्ण परमहंस से प्रथम परिचय के दृश्य से आरंभ हुए इस नाटक में नरेन्द्र के अपने गुरू के प्रति अद्वितीय संबंध को संवेदनशीलता के साथ प्रस्तुत किया है। माता भुवनेश्वरी का वात्सल्य, नरेन्द्र का परिवार के लिए त्याग, नाटकों के प्रति उनकी रूचि, अध्यात्म की ओर आकर्षण, सन्यास ग्रहण कर विवेकानन्द बनने के प्रसंगों के माध्यम से विवेकानन्द के अचंभित कर देने वाले व्यक्तित्व का पता चलता है। परिव्राजक काल में अलवर, खेतड़ी और मैसूर के राजाओं से संवाद में अध्यात्म, समाज और राष्ट्र के प्रति उनके समर्पण का भाव दिखता है। कन्याकुमारी मे ध्यान के उपरान्त भारत के पुनरूत्थान का ध्येयदर्शन और अमरीका चात्रा की बाधाओं को पार करते हुए शिकागो धर्मसंसद में विश्व प्रबोधन की सार्थक प्रस्तुति तक ले जाने वाला यह नाटक विवेकानन्द की सम्यक जीवनदृष्टि को दर्शाता है। अंत में संबंधित चित्रावली भी दी गई है। प्रकाशक-ग्रन्थ विकास,जयपुर/वर्ष 2012/हिन्दी
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