शुक्रवार, 2 अप्रैल 2010

गजल:  
उदासी को छोड़ो जरा मुस्कुरा लो,
गुमसुम क्यूं बैठे हो कोई गीत गा लो।
अंधेरे इस जीवन में घिर आते कई बार,
आस की लौ से तुम जहां जगमगा लो।
हार के यूं बैठो ना मायूस होकर,
फिर जीतने का विश्वास तुम दोहरा लो।
हकेले में घावों को कुरेदो मत यारों,
किसी प्रेमगीत का पद गुनगुना लो।
माना अपनों की पीड़ा से हो व्यथित,
औरों की खुशी में तुम खिलखिला लो।
-उमेश कुमार चौरसियासंपर्क-09829482601

मेरी नयी प्रकाशित संपादित पुस्तकें

मेरी नयी प्रकाशित संपादित पुस्तकें :- (1) बच्चों के प्रेरक-बापू - महात्मा गांधी के ऐसे प्रेरक जीवन प्रसंगों का संकलन जो बच्चों को जीवन मूल्यों से परिचित कराते हुए उन्हें अपनाने की प्रेरणा देते हैं। वर्ष 2010/हिन्दी/अरावली प्रकाशन, जयपुर/रू.200 मात्र। (2) मंगल प्रभात (बापू के एकादश व्रत) - महात्मा गांधी द्वारा बताये गये जीवनोपयोगी ग्यारह व्रतों का सरल हिन्दी भाषा में सचित्र संकलन। वर्ष 2010/ हिन्दी/साहित्यागार प्रकाशन, जयपुर/रू.100 मात्र।(3) मेरी युवा दृष्टि-गांधी - नई पीढ़ी को अपना तन-मन स्वस्थ व पवित्र रखते हुए जीवन में सफलता का मार्ग दिखाते गांधीजी के विचार लेखों का अनूठा संकलन। वर्ष 2010/हिन्दी/अपोेलो प्रकाशन, जयपुर/रू.100 मात्र।