शुक्रवार, 2 अप्रैल 2010

गजल:  
उदासी को छोड़ो जरा मुस्कुरा लो,
गुमसुम क्यूं बैठे हो कोई गीत गा लो।
अंधेरे इस जीवन में घिर आते कई बार,
आस की लौ से तुम जहां जगमगा लो।
हार के यूं बैठो ना मायूस होकर,
फिर जीतने का विश्वास तुम दोहरा लो।
हकेले में घावों को कुरेदो मत यारों,
किसी प्रेमगीत का पद गुनगुना लो।
माना अपनों की पीड़ा से हो व्यथित,
औरों की खुशी में तुम खिलखिला लो।
-उमेश कुमार चौरसियासंपर्क-09829482601

1 टिप्पणी:

GANGA DHAR SHARMA ने कहा…

जिन्दगी के अंधेरों से जूझती गज़ल ....
शुभकामनाएँ!