शुक्रवार, 27 नवंबर 2009

``बच्चों के प्रेरक-बापू संपादक - उमेश कुमार चौरसिया अरावली प्रकाशन, चौडा रास्ता, जयपुर फोन नं.0141 2310785 ``यह कितनी गलत बात है कि हम मैले रहें और दूसरों को साफ रहने की सलाह दें।`` -गांधीजीमहात्मा गांधी ने जब भी-जो भी कहा, पहले उसे अपने जीवन में-आचरण में पूर्णत: अपनाया। प्रतिपल सत्य-अहिंसा का कठोर पालन, मैला ठोने की प्रथा समाप्त करने के लिए स्वयं मैला साफ करना, लाखों निर्धनों की पीड़ा समझकर स्वयं लंगोट धारण करना, स्वयं सूत कातकर उसके वस्त्र पहनना, उपवास और सत्याग्रह का अभूतपूर्व-प्रभावी प्रयोग, सत्कार्य में निडरता, अपना छोटे से छोटा काम भी खुद करने की आदत............... ऐसे गांधीजी के जीवन का प्रत्येक क्षण हमें आज भी प्रेरणा देता दिखाई देता है। गांधीजी का जीवन एक दशZन है, जिसे आत्मसात करके हम अपना जीवन सहज-सरल-श्रेष्ठ बना सकते हैं।रंगकर्मी एवं लेखक श्री उमेश कुमार चौरसिया ने गांधीजी के जीवन-प्रसंगों में से ऐसे कुछ प्रसंगों को इस पुस्तक में संपादित किया है जो बच्चों के लिए पथप्रदशZक सिद्ध होंगे। श्री चौरसिया वषाZें से नाट्य लेखन-निर्देशन व लघुकथा और आलेखों के माध्यम से जीवन-मूल्यों व प्रेरक ऐतिहासिक कथानकों को प्रस्तुत करते रहे हैं। ये जीवन-मूल्य ही हमारे जीवन में सफलता की कुंजी हैं। `बच्चों के प्रेरक-बापू` पुस्तक भी महात्मा गांधी के जीवन के प्रेरणास्पद प्रसंगों के माध्यम से बच्चों को सेसे कई जीवन-मूल्यों से परिचित कराने का सुन्दर व सार्थक प्रयास है। संस्मरणों को उपयोगिता की दृष्टि से पांच भागों में सम्पादित करते हुए प्रसंग से मिलने वाली प्रेरणा को ही शीर्षक बनाकर श्री उमेश कुमार चौरसिया ने पुस्तक को सरल-रोचक व पठनीय बना दिया है। निश्चय ही यह संकलन बच्चों को अपना जीवन श्रेष्ठ व सफल बनाने सहयोगी सिद्ध होगा।

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