बुधवार, 28 अगस्त 2013

राजस्थान पत्रिका ''परिवार'' में 28-08-2013 को प्रकाशित गीत......

शुक्रवार, 12 जुलाई 2013

मान्यवर,


विषयः-‘नषा मुक्ति जागरूकता अभियान‘ को प्रायोजित करने के संबंध में।

मान्यवर,

हमारी संस्था द्वारा युवाओं को नाट्य विधा का प्रषिक्षण देने के साथ-साथ इस विधा के माध्यम से विद्यार्थियों एवं नागरिकों को विविध महत्वपूर्ण विषयों के प्रति जागरूक करने का अभियान भी समय-समय पर चलाया जाता है। इसी क्रम में हमने निम्नांकित थियेटर प्रोजेक्ट तैयार कर उसे ‘नषा मुक्ति जागरूकता अभियान‘ के रूप में विभिन्न विद्यालयों में प्रदर्षित किये जाने की योजना बनाई है-

विद्यार्थियों को स्मैक-हैरोइन आदि के नषे की लत से होने वाले घातक दुष्परिणामों की जानकारी हृदयस्पर्षी दृष्यों के माध्यम से देते हुए तथा हास्य-मनोरंजन से पूर्ण रोचक संवादों व दृष्यों के द्वारा इनसे बचने का संदेष रोचकतापूर्वक देने वाले लघु नाटक ‘जिंदगी धुँआ ना हो जाये‘ का निर्माण किया है। इस नाटक को हमारी एकेडमी के 10 युवा कलाकार प्रस्तुत करतें हैं। नाटक की अवधिः 20मिनिट है तथा यह नाटक प्रदर्षन के लिए पूर्णरूप से तैयार है। नाटक का प्रथम प्रदर्षन हाल ही में इण्डोर स्टेडियम में आयोजित हुए ‘नाट्य उत्सव‘ में शहर मेयर एवं अनेक गणमान्य नागरिकों के समक्ष सफलतापूर्वक किया जा चुका है।
इस लघु नाटक की तैयारी, रिहर्सल, वेषभूषा, वाहन व्यय, स्क्रिप्ट, कलाकारों का पारिश्रमिक एवं प्रदर्षन इत्यादि में लगभग 15,000/- रूपये का व्यय होगा। इस व्यय में इस नाटक को लगभग चार विद्यालयों में प्रदर्षित किया जा सकता है। विद्यालय को केवल मंच इत्यादि की यथावष्यक प्रदर्षन की व्यवस्थाएं ही करनी होंगी। चार से अधिक विद्यालयों के लिये व्ययभार इसी अनुपात में बढ जाएगा।
हमारा आपसे आग्रह है कि विद्यार्थियों के लिए उपयोगी उक्त लघु नाटक को प्रायोजित कर सहयोग करें। इस नाटक के माध्यम से आपके संस्थान की गतिविधियों का व्यापक प्रचार व प्रसार हो सकेगा। नाट्य स्थल एवं कार्ड, बेनर, होर्डिग एवं इलेक्ट्रोनिक मीडीया, समाचार पत्रों आदि में आपके संस्थान का प्रमुखता से उल्लेख भी किया जायेगा। 

आषा है कि आप इस नाटक को प्रायोजित करने की स्वीकृति प्रदान करते हुए इस जन उपयोगी जागरूकता अभियान में आप सहयोग प्रदान करेंगे।

सहयोग की अपेक्षा में,
सादर,


         उमेष कुमार चैरसिया
         निर्देषक
         12.07.2013
        
              50, महादेव काॅलोनी, नागफणी, बोराज रोड़ अजमेर-305001 ’’ मोबाइल नं.- 98029482601 ’ natya300@gmail.com  

शुक्रवार, 24 मई 2013

New Hindi Full length Play On the Inspiring life of Swami Vivekananda

                                                    पुस्तक का परिचय

                            नाट्यकृति-'नरेन्द्र से विवेकानन्द' 

                    लेखक-उमेश कुमार चौरसिया   9829482601
- स्वामी विवेकानन्द के जीवन प्रसंगों पर आधारित द्विअंकी पूर्णकालिक प्रेरक नाटक। नास्तिकता की कगार तक जिज्ञासु क्रांतिधर्मा युवक नरेन्द्र का एक पूर्ण श्रद्धालु योद्धा सन्यासी स्वामी विवेकानन्द के रूप में रूपान्तरण एक अद्भुत ऐतिहासिक घटना है, स्वामीजी के जीवन का यह सबसे महत्वपूर्ण भाग ही इस नाटक की कथावस्तु है। ठाकुर रामकृष्ण परमहंस से प्रथम परिचय के दृश्य से आरंभ हुए इस नाटक में नरेन्द्र के अपने गुरू के प्रति अद्वितीय संबंध को संवेदनशीलता के साथ प्रस्तुत किया है। माता भुवनेश्वरी का वात्सल्य, नरेन्द्र का परिवार के लिए त्याग, नाटकों के प्रति उनकी रूचि, अध्यात्म की ओर आकर्षण, सन्यास ग्रहण कर विवेकानन्द बनने के प्रसंगों के माध्यम से विवेकानन्द के अचंभित कर देने वाले व्यक्तित्व का पता चलता है। परिव्राजक काल में अलवर, खेतड़ी और मैसूर के राजाओं से संवाद में अध्यात्म, समाज और राष्ट्र के प्रति उनके समर्पण का भाव दिखता है। कन्याकुमारी मे ध्यान के उपरान्त भारत के पुनरूत्थान का ध्येयदर्शन और अमरीका चात्रा की बाधाओं को पार करते हुए शिकागो धर्मसंसद में विश्व प्रबोधन की सार्थक प्रस्तुति तक ले जाने वाला यह नाटक विवेकानन्द की सम्यक जीवनदृष्टि को दर्शाता है। अंत में संबंधित चित्रावली भी दी गई है। प्रकाशक-ग्रन्थ विकास,जयपुर/वर्ष 2012/हिन्दी

बुधवार, 21 नवंबर 2012

New hindi play collection based on Rabindranath Tagore's stories


                                        पुस्तक का परिचय

                                                       पड़ोसन


                                 लेखक-उमेश कुमार चौरसिया
                                             9829482601
वर्ष 2011 में साहित्यागार जयपुर से प्रकाशित गुरूदेव रवीन्द्रनाथ टैगोर की उत्कृष्ट कहानियों पर आधारित चार रोचक नाटकों का संग्रह। 1. पड़ोसन-दो मित्रों की कहानी, जिसमें रोचक घटनाक्रम के बाद पता चलता है कि दोनों जिस पड़ोसन बाल-विधवा से विवाह करना चाहते हैं वह एक ही है। यहाँ बाल-विधवा के पुनर्विवाह के पक्ष को रखा गया है 2. प्रेम का मूल्य- पौराणिक कथा पर आधारित इस नाटक में गुरू शंकराचार्य की पुत्री देवयानी को उनके षिष्य देवगुरू पुत्र कच से प्रेम होने तथा प्रेम का सही मूल्य समझाने की रूचिकर घटना है 3. घूंघट-जाति-भेद, सती प्रथा एवं विकृत सामाजिक रूढि़यों पर कटाक्ष करते इस कथानक में विजातीय प्रेम और उसमें त्याग के प्रभावी दृष्य हैं 4. मेरी पाती-यह समाज की कुरीतियों से उद्वेलित एक पतिन का अपने असंवेदनषील पति को लिखे गये पत्र की सुन्दर दृष्यात्क प्रस्तुति है, जिसके मर्मस्पर्षी दृष्य मन को छू लेते हैंै।

सोमवार, 23 जुलाई 2012